जब..
इस जीवन का अवसान हो
निर्विकल्प समाधि हो ध्यान हो
मुखमंडल पर आभा हो स्वर्णिम
अधरों पर मुस्कान हो
नाद बजे संग डमरू डमडम
भोले के संग प्रस्थान हो
देह शिथिल हो चले भले
मन बुध्दि संपूर्ण संज्ञान हो
जाने क्या विधि का विधान हो
अधर
इस जीवन का अवसान हो
निर्विकल्प समाधि हो ध्यान हो
मुखमंडल पर आभा हो स्वर्णिम
अधरों पर मुस्कान हो
नाद बजे संग डमरू डमडम
भोले के संग प्रस्थान हो
देह शिथिल हो चले भले
मन बुध्दि संपूर्ण संज्ञान हो
जाने क्या विधि का विधान हो
अधर
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