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तुम्हारा साथ



रात थे साथ तुम 

हम थे बातों में गुम 

आप बीती सुनी 

और सुनाते रहे 

भूले बिसरे कई 

याद आते रहे । 


जब ये देखा तुम्हें 

नींद आने को है 

धुंध छाने लगी 

भोर होने को है 

हम भी चुप हो गए 

जागते ही रहे।&nb

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