कई दिन बीत गए थे। चुड़ैल उदास थी। वो शिकायत भरी नजर से भूत को देख रही थी ।उसे शहर शहर घूमने का चस्का लग चुका था। भूत सब कुछ अच्छी तरह समझ रहा था।उसका मन भी अब ऊबने लगा था। वह सोच रहा था कि इस बार चुड़ैल को लेकर कहां जाए।
निश्चय करते हुए भूत ने उससे कहा कि इस बार दिल्ली चलते हैं। चुड़ैल बहुत खुश हुई। इस दफे विमान यात्रा का कार्यक्रम बना। दोनों काॅकपिट में घुस गए। पाइलट आए और समय होते ही विमान अपनी म॔जिल की ओर उड़ चला। ऊंचाई से बड़ा ही मनोरम दृश्य था।
दिल्ली पहुंचकर दोनों आसमान में उड़ने लगे। किन्तु यह क्या!हर ओर धुआं था। पता चला कि यह वाहनों और पराली जलाने के कारण था। अंततः वे कुतुबमीनार की सबसे ऊंची जगह पर जा बैठ
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