महिला दिवस's image
101K

महिला दिवस

आज बिटियाँ थोड़ी विचलित सी थी

माँ को देख वो विस्मित सी थी


जिसको रहते थे हज़ारों काम

नहीं था एक पल को आराम

आज सुबह से वो मुक्त सी थी

अपने विचारो में लुप्त सी थी


जो रहती थी बेसुध बेसुध

लड़ती थी नित एक नया युद्ध

आज उसके नैनो में गर्व सा था 

यह दिन उसका एक पर्व सा था


जो लोग उपहास बनाते थे

अकारण ही उसे रुलाते थे

आज वही उसकी प्रचिती पढ़ रहे थे

प्रशंसा में उसकी नए शब्द गढ़ रहे थे


यह सब देख बिटिया से रहा न गया

इतना प्रीत व्यवहार सहा न गया

बनाकर सूरत वो अपनी भोली

माँ के आंचल में बैठ कर बोली


क्या सूरज पश्चिम से है निकला

या हवाओ ने अपना रूख़ है बदला

कैसे ये लोग हुए इ

Tag: women और1 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!