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उठ जरा कदम बढ़ा!

(उठ जरा कदम बढ़ा!

क्रांति का बिगुल बजा!

इस समाज कि जड़ों को,

आज फिर से तू हिला) - 2


तू क्रांतिवीर हैतू ही तो,

सर्वशक्तिमान है.......,

बदल सके है भाग्य को,

तू ही! महान है.

इन नसों में आज फिर से,

उष्ण रक्त 

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