
मैने गंगा के अंदर निर्मल तट पर लाशो जलते देखा है
वायु भूमि और जल में मिलकर मानव को गलते देखा है
अग्नि ताप से खंडित होकर पंचतत्व में मिलते दे
Read More! Earn More! Learn More!
मैने गंगा के अंदर निर्मल तट पर लाशो जलते देखा है
वायु भूमि और जल में मिलकर मानव को गलते देखा है
अग्नि ताप से खंडित होकर पंचतत्व में मिलते दे