वो कैसी औरत है, वो जिस्म बेचती है
वो अल्लाह की बेटी है, वो जिस्म बेचती है
वो तुम-सी नहीं जो सड़कों पे मशहूर बने
वो रूह नहीं बेचती, वो जिस्म बेचती है
टके की ज़ेहनियत उसपे तुम ओढ़ो सफ़ेद चौंगे
तुमने सही कहा - वो तुम-सी नहीं, वो तो जिस्म बेचती है
उसको अपने बाप का पता नहीं मालूम
घर नहीं मालूम जगह नहीं मालूम
वो सिगरेट फूंकती है वो जीन्स पहनती है
तुम्हारी हसरत नोटों पर सोना वो नोटों पर नाचती है
तुम महलों में पलती हो वो परिवार पालती है
अपने गिरेबां में झांको और फिर सोचो
वो कैसी औरत है, वो जिस्म बेचती है
वो जानती है नंगी असलियत तुम्हारी
इन नामी कूंचो में छिपी हैवानियत वो सारी
तुम इंसान बेच डालो, वो अपना ईमान तो न बेचती है
खुद नारी होके तुम ‘वैश्या
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