
उसके गालों का जो तिल है बहुत हसीं हो जाता है
जब वो मुस्काती है तो दिन उसका बन जाता है
वो झिझक-झिझक कुछ-कुछ कहती उसको
वो थोड़ा सहज-सहज उसे सुन पाता है
उसका चौबारे पर आकर उचक-उचक तारों को छूना
उसका लपक कर उसको छत पर
Read More! Earn More! Learn More!
उसके गालों का जो तिल है बहुत हसीं हो जाता है
जब वो मुस्काती है तो दिन उसका बन जाता है
वो झिझक-झिझक कुछ-कुछ कहती उसको
वो थोड़ा सहज-सहज उसे सुन पाता है
उसका चौबारे पर आकर उचक-उचक तारों को छूना
उसका लपक कर उसको छत पर