मुस्कान - Muskaan - Rahul Abhua | Poetry's image
376K

मुस्कान - Muskaan - Rahul Abhua | Poetry

तुम मुस्कुराया करो

जब मुस्काते हो तो दिखता है तुममें

तुम्हारा वो बचपन

जो तुम छुपाये फिरते हो ज़माने से,

अकड़ूपन के पीछे का वो नटखट शैतान बच्चा

जिसके बारे में माँ ने मुझे बताया था।

मुस्कुराते हो तो एक शिशु लगते हो,

जैसे कोई बच्चा पहली बार रेल यात्रा पर निकला हो

और दोनों तरफ से गुज़रती पहाड़ियों

को देख एक सहज अनुभव कर रहा हो,

आंखों की शांति और चेहरे की म

Tag: poetry और8 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!