
(किताब - मैं शून्य ही सही)
मैं कुछ नहीं
तुम तो तोप हो,
मैं बस इक सुराख़ हूं
तुम तोप होगे!
लेकिन मुझपर तुम्हारा ज़ोर नहीं
और ना ही तुम्हारे उन बारूदी गोलों का
जबतक मैं सुराख़ होकर वहां मौजूद हूं
तबतक तुम सिर्फ और सिर्फ जंग खाओगे
जंग में आजमाये तो नहीं जाओगे
मैं कुछ नहीं
तुम्हारे पिता
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