
उसके पसीने की महक मुझे उसके इत्त्र से ज़्यादा सुहाती है
जानती हूँ अब की लडकियां इस बात पे मेरा मज़ाक उड़ाती है
कृष्ण को चाहती तो हज़ारों गोपियाँ हैं मगर
मुझ पगली को कान्हा जितनी कान्हा की बाँसुरी भाति है,
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उसके पसीने की महक मुझे उसके इत्त्र से ज़्यादा सुहाती है
जानती हूँ अब की लडकियां इस बात पे मेरा मज़ाक उड़ाती है
कृष्ण को चाहती तो हज़ारों गोपियाँ हैं मगर
मुझ पगली को कान्हा जितनी कान्हा की बाँसुरी भाति है,
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