
बंधन और बाध्यता - राहुल अभुआ | Rahul Abhua | Bandhan Aur Baadhyta
'शक्ति' क्या है?
क्या 'शक्ति' वो है जब
'शूर्पणखा' झूठे अहंकार में
अपने कुलवंश के शूरवीरो की गाथा गाये,
जिसे 'लक्ष्मण' शण मात्र भर में तोड़ दे
या फिर
'शक्ति' वो है जब
'राम' शालीनता से
दुराचारी 'रावण' का अहंकार मिटा दे?
राम 'बंधन' में थे पर 'बाध्य' कभी नहीं!
'बंधन' में होना और 'बाध्य' होना
दोनो अलग बातें हैं
ज़रूरी नहीं जो 'बंधन' में है, वो 'बाध्य' भी हो
इसे ऐसे समझिये,
हम पिछले पूरे साल घरों में बंद रहे
तो क्या वो 'बाध्यता' हुई?
नही! मेरा विचार थोड़ा भिन्न है
'प्रकृति' ने कुछ समय के लिए 'बंधन' में तो बांधा
हम घरों में 'कैद' रहे,
पर 'बाध्य' होना, ये इंसान पर निर्भर करता है
'बाध्य' हुए तो जीवित ही 'मर' जाएंगे
'बंधन' को अगर 'जेल' कहा जाए तो,
'राम', 'भगत सिंघ', 'बोस', 'मंडेला' व् अन्य
सब 'बंधन' में तो रहे
लेकिन 'बाध्य' कभी नहीं रहे,
दुराचारी 'रावण' और 'शकुनि' जब-जब
अपनी 'मर्यादा' के विपरीत पेश आत