
आशियाना
हम तुम दोनों दूर चलेंगे
सब शहरों से दूर, सब गाँवों से दूर
अपना आशियाना बसाएंगे
अम्बर छूती छत होगी..बादलों की
रेशम-सी सुंदर फ़र्श..माटी की
सूरज से लेंगे मोल उजाला
चंदा को कहेंगे दिन ढलने पे आना
बिस्लेरी नहीं झरनों का पानी पियेंगें
अंधकार होगा तो ही तो तारे दिखेंगे
दर
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