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आशियाना – राहुल अभुआ – हिंदी कविता

आशियाना

हम तुम दोनों दूर चलेंगे

सब शहरों से दूर, सब गाँवों से दूर

अपना आशियाना बसाएंगे

अम्बर छूती छत होगी..बादलों की

रेशम-सी सुंदर फ़र्श..माटी की

सूरज से लेंगे मोल उजाला

चंदा को कहेंगे दिन ढलने पे आना

बिस्लेरी नहीं झरनों का पानी पियेंगें

अंधकार होगा तो ही तो तारे दिखेंगे

दर

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