शिक़ायत's image
जवाबों से मेरे कोई ना मुतासिर,सवाल सारे गलत थे,
मेरी अदालत में उन्हें क्या सज़ा दूँ, बयान सारे गलत थे,
आग लगी है ज़ेहन में मगर किसी को खबर तक नहीं,
धुआँ जो नहीं है जलन का एहसास तक नहीं,
जो दरिया ना बुझा पाया तुम उसे फूंक से बुझाते हो,
कभी चखा नहीं जख़्म मेरा,स्वाद उसका बताते हो,
हिदायत भी दो मगर वो जिस पर ये बीती हो,
गहरी यादें जिसकी अश्कों की बरसात में भीगी हो,<
Read More! Earn More! Learn More!