
मेरे सीने में अब मेरा दिल नहीं है।
मेरे दरिया का कोई साहिल नहीं है।।
हुनर तुम्हें लिखने का मैं छोड़ दूं गर।
और कुछ भी मुझे हासिल नहीं है।।
शायरी तक मेरी है पहुंच इसकी।
इश्क की
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