![एक दीवार सा हो गया हूं's image](/images/post_og.png)
एक दीवार सा हो गया हूं
न कोई रोशनदान है
न कोई दरवाज़ा है
कुछ बोल नहीं सकता
अब केवल सुनता हूं
और अक्सर सोचता हूं
आख़िर ऐसा क्यों है?
आख़िर कैसे हुआ ये सब?
हर अश्क सीलन बन
सफ़ेद लिबास में
छाती से लिपटे रहते हैं
बेबसी की दास्तान बयां करते
मगर कोई नहीं सुनता
<Read More! Earn More! Learn More!