जिजीविषा's image
सुख-दुःख से 
आलोड़ित ! 
यह मानव जीवन !
पतझड़ में गिरते 
पत्तों -सा जीवन !
माना –
पतझड़ अधिक
बसंत है कम ,फिर भी तू
क्यों घबड़ाता है रे मन !
रुदन में हास ही जीवन !

जिंदगी आजमाती ही है 
उसे आजमाने दो !
Read More! Earn More! Learn More!