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जन–चित्र !

वह  उदास  !  कृशगात !
अस्थि-पञ्जर-सा जन है !

भूख !  आस ! तृषार्त !
चिंताओं से आकुल !
अवशेष मात्र जीवन है !

दैन्य की मरुभूमि बना  जो 
वह भारत का पीड़ित -जन है !

जिसके जीवन की, लय टूट चुकी है 
जीने की आशा, कब की छूट चुकी है !

धिक्कार हमें है अपने  –
बहुविध संसाधन पर !
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