हे विश्वजीत ! हे आर्यपुत्र !
अरि का मान मर्दन कर–
बहुत हो चुका देर न कर !
उनके खिलाफ़ अब –
युद्ध ! वरण कर !
तुम हो चिर शान्ति पुरोधा !
आतंक रोधी कुशल योद्धा !
तेरे हाथों में ब्रह्मायुध !
देर न कर अब करो युद्ध !
शतकोटि रुद्रसम मरुतवान !
शत्रु दमन कर – हरो प्राण !
तुम छत्रपति वीरशिवाजी
शूर वीर राणा के वंशज !
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