नहीं होती –
अब सुबह कभी –
आंगन में !
हर क्षण रात रहती है
जब से वो घर को
छोड़ चली गई !
आंखों में हरदम
बरसात रहती है ।
बहुत दिल दुखाया था
घर के लोगों ने उसका
फिर भी वो कुछ नहीं बोली !
मन ही मन कुछ गुना उसने
और मन मारे निकल ही पड़ी
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