![अर्ज़ से उठ कर अफ़लाक छूने आया हूं's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40r-dilshad-ahmad/None/1676009262355_10-02-2023_11-37-47-AM.png)
अर्ज़ से उठ कर अफ़लाक छूने आया हूं
अमावश से बाहर निकलो तुम्हें महताब बनाने आया हूं
ख़ुद को मैं आफताब हरगिज़ नहीं समझता
मगर अपने नूर से तुम्हें और निखारने आया
अमावश से बाहर निकलो तुम्हें महताब बनाने आया हूं
ख़ुद को मैं आफताब हरगिज़ नहीं समझता
मगर अपने नूर से तुम्हें और निखारने आया
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