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विरह भरीं काली रात्री

घनी अंधेरी रात" बदरा बरस बरस आये "

बादलो की घन घोर गर्जना "चिरती हुई आसमान को

जियरा डर के मारे "एकदम सिमट गया I

घोर अँधियारा मन की वेदना" कहे भी तो किस से कहे ,

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