जब इन्सान हद से गुजर कर मानसिक,
शारीरिक पीड़ा सहन कर जाता है,
खोफ के साये से गुजर रहा होता ।
दर्द में आंसू ना निकले जख़्मो को सहलाने
वाला नही हो ।कभी-कभार पीड़ा असहनीय।
देह मृत सी लगने लग जाए। ऐसा इन्स
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शारीरिक पीड़ा सहन कर जाता है,
खोफ के साये से गुजर रहा होता ।
दर्द में आंसू ना निकले जख़्मो को सहलाने
वाला नही हो ।कभी-कभार पीड़ा असहनीय।
देह मृत सी लगने लग जाए। ऐसा इन्स