मै घर जाता हूँ
तुम्हारी तस्वीर देखता हूँ
फ़िर मर जाता हूँ
वो……
वो जो ख़त लिखे थे मैंने तुम्हें
जो मैं कभी दे ना सका
दोबारा पढ़ता हूँ
और शब्दों मे उकर जाता हूँ
घर से तो निकलता हूँ कुछ इस तरह
कि जैसे बहुत
ज़रूरी काम से जाना हो
गली से निकलता हूँ ज़रूर लेकिन
ना जाने फिर किधर जाता हूँ
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