रूह जिस्म में मिल ही जाएगी आहिस्ता आहिस्ता ढलते ढलते
मोम ने बत्ती से कहा पिघलते पिघलते
पतझड़ जाएगा ही सावन आएगा ही
हरियाली छाएगी ही
आना ही है आ ही जायेगा चिर यौवन
मौसम बदलते बदलते बदलते
मोम ने बत्ती से कहा पिघलत
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