नहाकर निकली वो
उफ़्फ़्फ़
था वो हुस्न ए जमाल क्या
बंद कर लुं आंखों में उसको
है कितना उम्दा ये ख्याल क्या
उसकी गली से गुजरे कोई जो
ना देखे उसकी खिड़की
है क
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नहाकर निकली वो
उफ़्फ़्फ़
था वो हुस्न ए जमाल क्या
बंद कर लुं आंखों में उसको
है कितना उम्दा ये ख्याल क्या
उसकी गली से गुजरे कोई जो
ना देखे उसकी खिड़की
है क