
ब्रह्माण्ड में एक तिनके जितनी धरती के
छोटे से घोसलो में रहने वाला इंसान
धन, यौवन और काम के घमंड और अहंकार में
इतना अंधा है कि वह
रोज तारों और ब्रह्माण्ड को देखने के बाद भी
अपनी हैसियत/बिसात नहीं जान पाता
मान लिया जाये यौवन भी कि
अगर मृत्यु के पश्चा
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