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अपनी नज़ाकत दिखाकर जो कयामत ढाती हो

अपनी नज़ाकत दिखाकर जो कयामत ढाती हो

कसम से आजकल हमें तुम बहुत तड़पाती हो


चुप कराने के लिए होठों पर उंँगली रखते हैं सब 

और तुम मेरे होठों पर अपना होठ रख जाती हो


मेरी जांँ तेरी मासूमियत का अब क्या ही कहूंँ मैं

मुझे मनाने के लिए तुम क्यों ख़ुद रूठ जाती हो


तुम्हें मनाता इसलिए हूंँ कि इसमें मेरा फायदा है

मान जाने के बाद तुम मुझ

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