
कितना खूबसूरत एहसास है न ये इश्क भी !
कभी नींद भरे आँखों को सोने नहीं देती
कभी आंसूं भरे मन को रोने नहीं देती
कभी दिसंबर की कंपकंपाती रातों में
बदन को अपनी सर्द हवाओं से और ठिठुरा देती है
तो कभी जून के चिलचिलाती धूप में
अपनी आगोश की गर्म स्पर्श से नस तक को जला देती है
कभी भविष्य की असंख्य कल्पनाओं में डूबा मन
वर्तमान की सुध लेना भी छोड़ देता है
तो कभी अतीत का वो एक लम्हा
भविष्य की सारी कल्पनाओं का आधार बन जाता है
कभी वस्ल की ख़ुश तन को रोमांचित कर देता है
तो कभी हिज्र के आंसूं आँखों को भर देता है
कभी तस्वीरें सच Read More! Earn More! Learn More!