लिख लेने दो
सजा लेने दो पत्रिकाओं को
माहौल है चुनाव का
गिना लेने दो वादों को
फिर पूछ पांच साल कहां होगी!
तुम देखना क्या-क्या तरकीब नई होगी
कई चौकीदार नज़र आए हैं
सोचो तिजोरी कहाँ खुली होगी?
लिख लेने दो
सजा लेने दो पत्रिकाओं को
माहौल है चुनाव का
गिना लेने दो वादों को
फिर पूछ पांच साल कहां होगी!
तुम देखना क्या-क्या तरकीब नई होगी
कई चौकीदार नज़र आए हैं
सोचो तिजोरी कहाँ खुली होगी?