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सिर्फ ख्यालों में नहीं

सिर्फ ख्यालों में नहीं लफ़्ज़ों में बयां होना चाहिए
अर्ज़ करने को दिल, महफ़िल और जुबां होना चाहिए

ख़्वाब तो हर कोई सजाता है रंगीन रातों की मगर
मेरे तसव्वुर में सिर्फ सियह आसमां होना चाहिए

मुसाफ़िर हूं, सफ़र से है कोई पुराना राब्ता मेरा
मुझे क्या ख़बर कब, कैसे मुझको कहां हो
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