ख़त में गुलाब's image
405K

ख़त में गुलाब

हर दिन हर पल का इतना हिसाब कौन रखे
बरसों से थकी आंखों में नया ख़्वाब कौन रखे

ज़िक्र कर दूं तेरा तो कुछ ग़म पुराने उभर जाएं
लेकिन अब लबों पर दिल के अज़ाब कौन रखे

तुम ही नहीं हो तो मुझे रोना सिखायेगा कौन
सूख गईं आंखें, इनमें फिर से सैलाब कौन रखे

वो अदाएं आपकी और वो ख़ूबसूरती वहीं
बग़ैर मेरे इस पर दिल का खिताब कौन रखे

यादों की जूगनुओं से ही रोशन है मेरा सफ़र
फिर ख़्वाबों से जलता हुआ आफ़्ताब कौन रखे

आपकी नज़दीकियों में थे लिखे कुछ शायरी
वो नज़दीकिया
Tag: शायरी और2 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!