
धरा पे तुम बनकर आई "आद्विका" हो
मेरे घर में तुम प्रसाद माॅं काली का हो
लक्ष्मी और दुर्गा का पावन संयोग हो तुम
सरस्वती हो, कल्याण का सुयोग हो तुम
बुद्धि और विवेक तुम्हारा, तुम हो ज्ञानी
अपने बल पर अडिग सदा ही स्वाभिमानी
मेरे घर में तुम प्रसाद माॅं काली का हो
लक्ष्मी और दुर्गा का पावन संयोग हो तुम
सरस्वती हो, कल्याण का सुयोग हो तुम
बुद्धि और विवेक तुम्हारा, तुम हो ज्ञानी
अपने बल पर अडिग सदा ही स्वाभिमानी
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