दुख है तो दुखेगा ही
कांटा है तो चुभेगा ही
घाव है तो रिसेगा ही
दरिया है तो बहेगा ही
नशा है तो चढ़ेगा ही
परवाना है तो जलेगा ही
बादल है तो बर
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दुख है तो दुखेगा ही
कांटा है तो चुभेगा ही
घाव है तो रिसेगा ही
दरिया है तो बहेगा ही
नशा है तो चढ़ेगा ही
परवाना है तो जलेगा ही
बादल है तो बर