
अब इस सब्र का कोई सिला मिले
तुम मिलो या तुम्हें भूल जाने की दवा मिले
हमारे हिस्से ही क्यों हो हर बेकरारी
थोड़ा तुम भी तड़पो
तुम्हें भी उल्फ़त की सज़ा मिले
हम दो घड़ी मसरूफ़ क्या हुए
इतना भी एतबार न
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अब इस सब्र का कोई सिला मिले
तुम मिलो या तुम्हें भूल जाने की दवा मिले
हमारे हिस्से ही क्यों हो हर बेकरारी
थोड़ा तुम भी तड़पो
तुम्हें भी उल्फ़त की सज़ा मिले
हम दो घड़ी मसरूफ़ क्या हुए
इतना भी एतबार न