नहीं देखना चाहती मैं अब किसी की राह
फ़िर ये इंतज़ार क्यू है...
मेरे हर इकरार पर कर चुके हो तुम इंकार
फ़िर ये दिल बेकरार क्यू है...
बीत चुके कितने ही सावन सूखे
फ़िर इस फ़ागुन में नया खुमार क्यू है...
मोड़ लिया मुहँ तुमसे कितनी दफ़ा मैंने
पर
Read More! Earn More! Learn More!