
ज़रूरत मुश्किलों में हो कोई अपना नहीं होता
गुज़ारा ज़िंदगी का अब मेरा तन्हा नहीं होता
तमन्ना थी मुझे तेरी, तेरी ही थी मुझे ख़्वाहिश
अगर तू साथ होता तो मैं यूँ बिखरा नहीं होता
किसी भी हाल में जानाँ तुझे अपना बनाता मैं
क़फस गर दहर में मेरी रिवाज़ो का नहीं होता
किया क्या हाल है फ़िरदौस दुनिया का बशर तूने
किया होता जत
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