
दर्द मेरा, मैं ही जानूं,
चुपचाप इसे पहचानूं।
शब्दों में जो बुन पाता हूं,
आग छुपाकर गुनगुनाता हूं।
चेहरे पर हंसी की परतें,
भीतर घुलती रोज़ सूरतें।
जो कह
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दर्द मेरा, मैं ही जानूं,
चुपचाप इसे पहचानूं।
शब्दों में जो बुन पाता हूं,
आग छुपाकर गुनगुनाता हूं।
चेहरे पर हंसी की परतें,
भीतर घुलती रोज़ सूरतें।
जो कह