
लाल सलाम की गूंज थी, हाथों में लाल परचम,
किसानों-मज़दूरों की आवाज़, थी जलते दिल की सरगम।
इंकलाब के नारे गूंजे, सत्ता तक कांपा सिंहासन,
पर झगड़ों, विभाजनों में बंटा, खो बैठा अपना आंगन।
ज
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लाल सलाम की गूंज थी, हाथों में लाल परचम,
किसानों-मज़दूरों की आवाज़, थी जलते दिल की सरगम।
इंकलाब के नारे गूंजे, सत्ता तक कांपा सिंहासन,
पर झगड़ों, विभाजनों में बंटा, खो बैठा अपना आंगन।
ज