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शायद उसे फ़िर मेरी याद आई है

सुना है वो आज फिर वही किताब साफ़ कर रही है

जिसे हाँथ में लेकर कॉलेज जाती थी ,

शायद उसे फ़िर मेरी याद आयी है।

हाँ वही क़िताब जिसमें ग़ुलाब रखती थी मेरे दिये हुए

धूल जितनी क़िताब से हटी उससे कहीं ज्यादा आज मन से हटायी है

शायद उसे फिर मेरी याद आई है।

हाँ अश्क़ भी छलकते दे

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