// भली लड़की उर्फ संस्कारी लड़की //
तुम गलत को गलत नहीं कहती ।
अरे ! बल्कि तुम तो कुछ कहती ही नहीं ,
बस सुनती रहती हो चुप चाप सबकी कही..।
तुम्हारी जुबान पर तुमने ताला लगा रखा है,
अपनी ख्वाहिशें तुमने औरों की ख्वाहिशों तले दबा रखी हैं ।
तुम खुद से पहले औरों को चुनती हो.. ।
समाज की खींची लक्ष्मण रेखा के बाहर
कभी पांव नहीं रखती हो, तुम इतनी भली लड़की हो.. ।
दर्द होता है कभी तो रोती नहीं सुबकती हो अकेले में ,
इतनी साहसी हो तुम किसी से अपना दुख नहीं कहती .. ।
तुम्हारे जिंदगी के फैसले कोई और लेता
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