
बापू तुम अब कभी अपने देश ना आना
आओगे तो मन ही मन बहुत पछताओगे
यहां किसी से कुछ कह भी ना पाओगे
आजाद होकर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है
अफसोस तुम्हारा बलिदान व्यर्थ हो गया है
ऐसा नहीं है राष्ट्रपिता कि तुम्हें सब भूल गए हैं
तुम्हारी तस्वीर दीवार पर जगह जगह लगी है
बस तुम्हारा पढ़ाया पाठ किसी को याद नहीं है
सत्य बोलने पर यहां अब सजा मिलती है
जो झूठ बोलता है उसकी जय जय होती है
अहिंसा शब्द किताबों में जरूर मिला करता है
धर्म अब कमजोरों पर हिंसा करना बन गया है
तुम्हारी तरह भारत मां की चिंता करने वाला
यहां अब कोई देश का सेवक नहीं रह गया है
देश की कुर्सी से सबको बड़ा मोह हो गया है
तुम देश के लिए जिए, देश के लिए शहीद हो गए
यहां जनता के सेवक कुर्सी के लिए जीते हैं
और कुर्सी के लिए ही लड़ते लड़ते मरते हैं
इसलिए गांधी बाबा अब आप अपने देश ना आना
पिता का सिखाया पाठ जब बच्चे भूल जाते हैं