प्रियतम's image
इस रूढ़वाद और जात पात के बंधन से मैं परे प्रियतम,,
कुछ मेरी भी परेशानी है कोई उसका हल भी करे प्रियतम।।

मैं खुद ही खुद में घुटूं कब तक,,
सब आगे गए मैं रुकूं कब तक??
बिन धूप हवा पानी के अब खिली खिली दिखूं कब तक??
बिन सरवर बिन झील अब कैसे कोई गगरी भरे प्रियतम??
अब मेरी खातिर भी कोई मुझसा ब
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