ऐसी सजा ऐ गुनाह दी जाती है
हमें रातों को नींद नहीं आती है
चाँद तो होता है मयस्सर लेकिन
छत पे वो चाँदनी नहीं आती है
मैं रात सदाएं देता हूँ उसको मगर
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ऐसी सजा ऐ गुनाह दी जाती है
हमें रातों को नींद नहीं आती है
चाँद तो होता है मयस्सर लेकिन
छत पे वो चाँदनी नहीं आती है
मैं रात सदाएं देता हूँ उसको मगर