प्रलय ज्वाला
हो प्रचंड अग्नि ऐसी, कि अंबर भी ढक जाए धूम से।
बजे रणभेरी ऐसी, कि प्रश्न करें सभी महाकाल से।।
निकाल लो तलवार, नष्ट कर दो निस्सार जगत को शान से ।
धधका दो प्रलय ज्वाला ऐसी, कि कठोर बन जाएँ सभी सुमन से।।
करके एक करारा वार, हो अनुरंजित तुम विप्लव से।
निकालो ध्वनि ऐसी, कि आ जाए उद
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