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त्रेतायुग - श्री राम का
त्रेतायुग श्री राम के अवतरण से धन्य हुआ,
धन्य हुई वसुधा,धन्य हुआ ये मानवलोक,
दर्शन पाकर पार हुई जीवन की नैया,
किया कल्याण असंख्य का तृप्त हुई तृष्णा भक्तों की,
सत्य, धर्म ,सदाचार से पोषित हुआ त्रेतायुग श्री राम का!
सत्य सनातन धर्म का भगवा परिचायक हुआ,
राम राज्य में सब खुश, सब संतुष्ट हुए,
हुई भक्तिभाव और राष्ट्रप्रेम समाहित हर जन के मन में,
हुआ अधर्म का नाश मर्यादा पुरुषोत्तम के श्री हाथो से,
उद्धार हुआ अधर्मी का भी प्राप्त हुई शरण जिन्हें श्री राम के द्वारा,
अवतरण एक लीला थी, सिखाना था सबको धर्म का पाठ,
हुए बड़े ज्ञानी, ओजस्वी अपार किन्तु वही हुआ स्वीकार,
जिसने धारण किया धर्म का द्वार,
रावण महा ज्ञानी, प्रकांड ओजस्वी प्राणी,
वेदों का ज्ञात
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