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तेरी हर आदत को हमदम!
क्या क्या समझ बैठे थे हम,
वो कुछ इशारें थे जिन्हें,
दुनिया समझ बैठे थे हम।
रफ़्ता रफ़्ता ही सही तुम्हें,
अपना समझ बैठे थे हम।
मु
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तेरी हर आदत को हमदम!
क्या क्या समझ बैठे थे हम,
वो कुछ इशारें थे जिन्हें,
दुनिया समझ बैठे थे हम।
रफ़्ता रफ़्ता ही सही तुम्हें,
अपना समझ बैठे थे हम।
मु