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ख़ुद को मत बेकार समझना

ख़ुद को मत, बेकार समझना ।
तुम हो ,रचनाकार की रचना ।
कष्टों में ,ना हार समझना ।
आशाएं, उम्मीदें रखना ।
पीड़ाओं का, सार समझना ।
जीवन को ना, भार समझना ।
आज नहीं तो, कल जीतोगे ।
खुद को तुम, हर बार

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