
ये जो हैं अपनी ,अम्बे रानी ।
इनकी तो है, छटा निराली ।
कभी ये अम्बा , कभी हैं काली ।
मां हैं एक ,पर इनके रूप अनेक
नवरात्रि में ,नव रूपों में आती ।
भक्तों पर कृपा ,अपनी बरसातीं ।
जो भी मां के, दर पर आता ।
मुंह मांगा वो , फ़ल है पाता ।
अम्बे मां से जो भी,
लगाता अरदास ।
पूर्ण करती मां, उसकी हर आस।
भक्त यदि ,जीवन से हारा ।
मां दयामयी, उसे देतीं सहारा ।
शैलपुत्री, ब्रह्मचार
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