
ओ इंसान !
हर जगह छोड़,
अपनी अच्छाई के निशान ।
और अपनी, सच्चाई के निशान ।
बस इसी में लगा , तू अपनी जान ।
पहले बन , अच्छा इंसान ।
फ़िर गुणवान, और चरित्रवान ।
लोग करें , तेरा गुणगान ।
कर तू कुछ , ऐसा मेरी जान ।
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ओ इंसान !
हर जगह छोड़,
अपनी अच्छाई के निशान ।
और अपनी, सच्चाई के निशान ।
बस इसी में लगा , तू अपनी जान ।
पहले बन , अच्छा इंसान ।
फ़िर गुणवान, और चरित्रवान ।
लोग करें , तेरा गुणगान ।
कर तू कुछ , ऐसा मेरी जान ।